सोमवार, 17 मई 2010

और मैं साधना सरगम का कृतज्ञ हो गया ...........




बात
तब की है

जब हम करगिल युद्ध जीते थे और मैं

हमारे सूरमा शहीदों के सम्मान में ऑडियो अल्बम

"
तेरी जय हो वीर जवान "

का निर्माण कर रहा था


मैंने सात गीत लिखे थे जिन्हें अलग-अलग गायकों

के स्वर में पिरो कर अल्बम बनाना था

चूंकि इसका सारा खर्च मैं ख़ुद कर रहा था और HMV के

द्वारा रिलीज़ होने पर इसकी सारी रौयल्टी भी शहीद परिवार

फंड के लिए ही व्यय होनी थी इसलिए मेरे पास

बजट भी सीमित था और समय भी................



शेखर सेन ,उद्भव ओझा , जसवंत सिंह और अर्णब की रेकॉर्डिंग

हो चुकी थी सिर्फ़ साधना सरगम का एक गीत बाकी था

संयोग से उस दिन मुंबई में ऐसा बादल फटा कि पानी-पानी

हो गया ............अब मैं घबराया क्योंकि यदि साधना नहीं आती है

तो स्टूडियो अन्य लोगों का खर्च बेकार जाएगा और

बड़ी तकलीफ ये कि उसके बाद 20 दिन तक स्टूडियो

मिलेगा भी नहीं



चूंकि मैं साधना जी को मानधन भी बहुत कम दे पा रहा था

इसलिए मुझे शंका हुई कि साधना शायद भारी बरसात और

जल जमाव के बहाने डंडी मार देगी,

गाने के लिए नहीं आएगी .........



लेकिन कमाल________कमाल !


साधना तो गई ......


कार पानी में फंस गई तो ऑटो रिक्शा किया,

वह भी फंस गया तो कमर के ऊपर तक सड़क पर भरे

पानी में पैदल - पैदल चल कर आई लेकिन आई और

आते ही कहा- सौरी अलबेलाजी मैं थोड़ा लेट हो गई __

मैं हैरान रह गया कि वह पहुँची कैसे ? और महानता

उस महिला कि ये कि लेट होने के लिए भी सौरी बोल रही है



मैंने कहा- पूरा भीग चुकी हो, पहले गर्म गर्म चाय पी लो,

साधना ने कहा - नहीं टाइम बिल्कुल नहीं है ...

चाय बाद में पियूंगी पहले आपका काम ..........


साधना ने तिरंगे वाला गाना "हम को तुम पर नाज़ है "

गाया और ऐसा गाया कि सबको भाव विभोर कर दिया

विशेषकर गीत के अन्त में जो आलाप लिया उसने तो

पूरी यूनिट को रुला दिया, साधना स्वयं भी सुबक उठी थी ।

बाद में फोन करके बताया कि कल्याणजी भाई

(कल्याणजी आनंदजी) ने भी इस गीत को बहुत पसंद किया



तो मित्रो ! यह थी साधना सरगम की सुहृदयता और विनम्रता

जिसके प्रति मैं सदा कृतज्ञ रहूँगा ...क्योंकि वो इतने पानी में

पैदल चल कर सिर्फ़ इसलिए आई थी कि वह जानती थी

मैं कितनी मुश्किलों में उस अल्बम को बना रहा था

यदि किसी कारण अटक गया तो कई दिनों के लिए लटक

जाएगा ....


धन्यवाद ..साधना !


बहुत बहुत धन्यवाद ! हार्दिक आभार कृतज्ञता



-अलबेला खत्री
















साधना सरगम, अर्नब चटर्जी एवं अलबेला खत्री















अलबेला खत्री, अन्नू कपूर एवं कोमोडोर एफ़. दुभाष





3 टिप्‍पणियां:

  1. साधना जी के ज़़ज़्बे को सलाम!
    बहुत ही प्रेरक संस्मरण लगाया है आपने!

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  2. देखिए देश की बात जब आती है तो हर कोई अपने स्तर पर कोई कसर नहीं छोड़ता. यही तो वो प्राण है जो देश को चला रहा है। साधना जी को बधाई या उनके जज्बे को सलाम कहकर उनकी निष्ठा को छोटा नहीं करुंगा।

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  3. sadhanaji toh mahan gayika hain hi balki ek mahan shaksiyat bhi hain.

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