मन-मस्तिष्क को प्रफुल्लित व गर्वित करने वाली घटनाओं संस्मरणों व सुखद अनुभूतियों को साझा करने का प्रयास
सब मनुष्य देवता -तुल्य- तो मैं भी देवता तुल्य कहलाया! मेरी जय हो!!! :)
सुन्दर विचार!किन्तु जहाँ मनुष्य के भीतर देवत्व होता है वहीं अधमता भी होती है, इसीलिये तो मैथिलीशरण गुप्त जी ने "पंचवटी" में कहा हैःमैं मनुष्यता को सुरत्व की जननी भी कह सकता हूँकिन्तु मनुष्य को पशु कहना भी कभी नहीं सह सकता हूँ
I agree.
सब मनुष्य देवता -तुल्य- तो मैं भी देवता तुल्य कहलाया! मेरी जय हो!!! :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार!
जवाब देंहटाएंकिन्तु जहाँ मनुष्य के भीतर देवत्व होता है वहीं अधमता भी होती है, इसीलिये तो मैथिलीशरण गुप्त जी ने "पंचवटी" में कहा हैः
मैं मनुष्यता को सुरत्व की जननी भी कह सकता हूँ
किन्तु मनुष्य को पशु कहना भी कभी नहीं सह सकता हूँ
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