रविवार, 23 मई 2010

यह शक्ति नष्ट हुई कि अपनी सारी ज़िन्दगी कौड़ी कीमत की हो जाती है




महज किताबें पढ़ने का चटखारा लगा

कि ख़ुद की सार-असार विचार-शक्ति

कमज़ोर
पड़ जाने का डर है;

और एक बार यह शक्ति नष्ट हुई

कि अपनी सारी ज़िन्दगी कौड़ी कीमत की हो जाती है

- स्वामी विवेकानन्द




4 टिप्‍पणियां: