तृष्णा इस कदर अन्धा बना देने वाली शक्ति है
कि दुनिया की तमाम दलीलें भी
आदमी को
यह विश्वास नहीं दिला सकतीं कि वह तृष्णावान है
- अज्ञात महापुरूष
इस दुर्जेय तृष्णा पर जो काबू पा लेता है,
उसके शोक इस प्रकार झड़ जाते हैं
जैसे कमल के पत्ते पर से जल के बिन्दू ।
-महात्मा बुद्ध

ये पंक्तियां जीवन बदल सकती हैं।
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